..बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से होय.. ऐसे कई अवसर आते है जब सरकार आती है, लोकतंत्र शिष्टाचार के नाते ऐसे अवसरो को नहीं आने देना चाहिए, जिसकी शुरुआत भाजपा शासन के कार्यकाल से हुई है..
..बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से होय..
ऐसे कई अवसर आते है जब सरकार आती है, लोकतंत्र शिष्टाचार के नाते ऐसे अवसरो को नहीं आने देना चाहिए, जिसकी शुरुआत भाजपा शासन के कार्यकाल से हुई है..
भाजपा नेता हर कार्यक्रम में विघ्न पैदा कर रहे.. : मनोज राजानी
देवास। गत दिवस निगम में अमृत योजना के तहत सूत्र सेवा बसों का लोकार्पण किया गया था जहां भाजपा नेताओं का आरोप था की उनकी उपेक्षा कांग्रेसी नेताओं व निगमायुक्त संजना जैन ने की है। जिसका विरोध भाजपा विधायक गायत्री राजे पवार ने भी किया था। अब उस विरोध का कटाक्ष कर शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी ने भाजपाईयों को आड़े हाथों लिया है। जहां उन्होनें प्रोटोकाल के उल्लघंन की बात को ढकोसला बताया है।
कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मनोज राजानी ने भाजपा नेताओ, सांसद, विधायक द्वारा हर कार्यकम में विघ्न पैदा करने का आरोप लगाते हुए प्रोटोकाल के उल्लघंन की बात को ढकोसला बताया है। राजानी ने कहा कि वर्ष 2008 से 2013 तक मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह मुख्यमंत्री थे। इस दोरान वर्ष 2009 से 2014 तक क्षेत्र में सांसद सज्जन सिंह वर्मा थे। साथ ही इसी सत्र में बागली क्षेत्र देवास जिले में होने से खंडवा लोकसभा में अरुण यादव सांसद थे, इसलिए वो भी देवास जिले से सांसद माने जाते थे। भाजपा की सरकार ने कांग्रेस के सांसदों से कैसा व्यवहार किया था यह में स्मरण दिलाना चाहता हूं। सडकों का पैसा भारत सरकार से आता था तथा केन्द्र में सरकार कांग्रेस की होने के बावजुद दोनों सांसदों को तत्कालीन कलेक्टर द्वारा बैठको में आमंत्रित न करके केवल भाजपा के विधायको से समिक्षा बैठक आयोजित करते थे। जिसका विरोध मैंने सांसद प्रतिनिधि होने के नाते किया था। उक्त प्रेस नोट में मेने भी वही कहा था जो आज विधायक, सांसद कह रहे है कि प्रशासन सत्ताधारी दल का एजेंट बनकर कार्य कर रहे है। वास्तव में विपक्ष का कार्य ही ऐसे आरोप प्रशासन पर लगाना है। साथ ही राजानी ने कहा कि नगर निगम का जहां तक प्रश्न है वो भी उस समय जब महापौर कांग्रेस की थी परन्तु तत्कालीन भाजपा सरकार के मंत्रियो के दबावों में सांसद को आमंत्रित नहीं किया गया। भाजपा नेता सता के नशे में इतने चूर थे की वे अपने ही सांसद के कई बार शासकीय कार्यक्रमों में आमंत्रित नही करते थे। ऐसे कई अवसर आते है जब सरकार आती है जाती परन्तु लोकतंत्र में शिष्टाचार के नाते ऐसे अवसरो को नहीं आने देना चाहिए जिसकी शुरुआत पिछले 15 वर्षो में भाजपा शासन के कार्यकाल से हुई है।
कबीर का दोहा आज भी प्रासंगिक है…बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से होय..
समय का चक्र घुमाता रहता है , हमें अच्छे कार्यो की सराहना करनी चाहिए विपक्ष के नेताओ को समझना चाहिए। कि सरकार आपने भी चलाई है और आपके द्वारा किये गए अधूरे कार्यो को पूर्ण करने का अवसर किसी और को मिला है तो उन कार्यो के पूर्ण होने पर बधाईयां देकर खुशियां मनाना चाहिए न की तेरा मेरा, मान-सम्मान तथा कुर्सी की लड़ाई को सार्वजानिक कर लोकतंत्र में मर्यादाओं को ताक में रखकर अधिकारों की लड़ाई के बजाय अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों को अंगीकृत करना चाहिए जिससे मान सम्मान मिल सके।
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