ऐसे भी होते हैं शासकीय शिक्षक...अपने खर्च से बच्चों को करवाई हवाई यात्रा..

ऐसे भी होते हैं शासकीय शिक्षक…अपने खर्च से बच्चों को करवाई हवाई यात्रा
-जिले का सम्भवतः पहला मामला जहां सरकारी स्कूल के बच्चों को शिक्षक हवाई जहाज से ले गए दिल्ली
-पहली बार हवाई जहाज में बैठकर खुश हुए बच्चे
देवास। सुविधाओं-संसाधनों की कमी से जूझरहे सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए हवाई सफर एक सपने जैसा ही है। ग्रामीण अंचल के कई बच्चे जो ट्रेन में भी नहीं बैठ पाते हैं उनके लिए हवाई जहाज में बैठना एक सपना ही रहता है, लेकिन कुछ शिक्षकों की बदौलत यह सपना पूरा हो जाए तो स्कूली बच्चों के लिए एक बड़े सपने से भी कम है। एक ऐसे ही शासकीय शिक्षक ने बच्चों का सपना पूरा किया है। जिले के आगरोद संकुल के गांव बिजेपुर स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय है। जहां के प्रधानाध्यापक ने अपने खर्च पर विद्यालय के बच्चों को हवाई यात्रा करवाई। पहली बार बच्चे हवाई जहाज में बैठे। जिले में संभवत: यह पहली बार हुआ है जब किसी शिक्षक ने अपने खर्च पर बच्चों को हवाई यात्रा करवाई हो।

शिक्षक के साथ लालकिले पर स्कूली बच्चे

            ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय स्कूल के बच्चों के लिए हवाई यात्रा एक बड़ा सपना होता है, जिसे पूरा कर दिखाया है आगरोद संकुल के ग्राम बिजेपुर स्कूल के प्रधान अध्यापक किशोर कनासे ने, जिन्होंने अपने निजी प्रयासों से स्कूल के 18 से अधिक बच्चों को हवाई यात्रा करवाकर उन्हें दिल्ली की सैर करवाई। आम तौर पर शासकीय स्कूलों में और खासकर ग्रामीण अंचलों में स्कूली बच्चे सुविधाओं से वंचित रहते है। कई बार विद्यालय का स्टॉफ भी शासकीय योजनाओं के भरोसे स्कूल और बच्चों के लिए कुछ भी करने में अपनी असमर्थता जाहिर करता है। ऐसे में इन शासकीय विद्यालयों में से कुछ लोग अपवाद स्वरूप सामने आते है जो इन स्कूलों और बच्चों के प्रति अपनी नौकरी से ईतर कुछ करने का जज्बा रखते है। आगरोद संकुल के ग्राम बिजेपुर के माध्यमिक विद्यालय के प्रधान अध्यापक किशोर कनासे ने पिछले दिनों अपने विशेष प्रयासों से अपने स्कूल के 18 से अधिक बच्चों की हवाई यात्रा की इच्छा और देश की राजधानी दिल्ली को देखने के उनके सपने को पूरा करने के लिए निजी तौर पर प्रयास किये और पालकों की सहमति से बच्चों ने हवाई यात्रा करके दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किला, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, कुतुब मीनार, अक्षर धाम कनॉट प्लेस जैसे दर्शनीय स्थानों का आनंद लिया। स्कूली बच्चों के साथ यात्रा में शाला के शिक्षक नितीन गुप्ता और शिक्षिका आशा तिलोदिया भी थे। उल्लेखनीय है कि कनासे समय-समय पर अपने स्कूल के बच्चों के लिए अपने निजी प्रय्यासों से कभी किताब कापियां, कभी स्कूल बैग तो कभी स्वेटर की व्यवस्था करते है, साथ ही संकुल के माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए साल में एक बार खेल प्रतियोगिता का आयोजन कर बच्चों को प्रोत्साहित भी करते है।

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