कोरोना वायरस कर्फ्यू : न जात न धर्म सबसे पहले होता है इंसानियत का कर्म..
देवास पुलिस की सराहनीय पहल से परिजनों से मिली दोनों बच्चियां..
देवास। कहते है कि इंसानियत धर्म की मोहताज नहीं होती है। इस बात को आज देखा गया है और इसी बात को सही साबित करने का काम व एक सेतु बनकर देवास पुलिस ने दो मासूम बच्चियों को इंदौर के चंदन नगर से जावरा के परिजनों को सौंपा गया है। दरअसल कोरोना वायरस के चलते इंदौर में भी कर्फ्यू लगा हुआ था। जिसके चलते सभी स्थान लॉकडाउन ही गए थे। वही इंदौर के एक मदरसा भी बंद कर दिया गया था। जिसके अन्य बच्चे में अपने परिजनों के पास पहुंच चुके थे। किंतु दुर्भाग्य से दो मासूम बच्चियां अपने परिजनों से नहीं मिल पा रही थी। जिन्हें देवास पुलिस स्टाफ की शैलजा भदौरिया और फिरोज खान ने दोनों बच्चियों को जावरा से परिजनों को बुलाकर उनके सुपर्द कर देवास से अनुमति दिलवाकर जावरा पहुंचाया गया। इस मामले में आरक्षक फिरोज खान ने बताया कि उन्हें किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा सूचित किया था की, दो मासूम बच्चियां जावरा की है जो मदरसे में रह गई है। जिस पर उन्होंने शैलजा भदौरिया को सूचित किया था। गौरतलब है कि शैलजा भदौरिया चाइल्डलाइन में पहले कार्य कर चुकी है। जिसके चलते उन्होंने इंदौर चाइल्डलाइन को सूचित कर दोनों बच्चियों को परिजनों से मिलवाया।

चाइल्ड लाइन परिवार ने धन्यवाद ज्ञापित किया..
इस खतरे की घड़ी में बेशक घर से ना निकलने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं जो अपने मां बाप से दूर हैं। उन्हें अपने मां-बाप से मिलाने के लिए कुछ लोगों का घर से निकलना आवश्यक है। जावरा की दो बच्चियां एक 8 वर्ष, दूसरी 10 वर्ष इंदौर के एक मदरसे में पढ़ रही हैं। मदरसा बंद होने की वजह से यह बच्चियां अपने घर जाने में सक्षम नहीं थी। बच्चियों के दादा ने चाइल्ड लाइन से मदद मांगी। चाइल्डलाइन ने इंदौर पुलिस एवं देवास पुलिस के सहयोग से आज इन बच्चियों को अपने घर पहुंचाया। इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से देवास पुलिस की शैलजा भदोरिया इंदौर चंदन नगर थाना प्रभारी श्री तोमर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। चाइल्डलाइन परिवार पुलिस विभाग के इस विकट समय में सहयोग के लिए इंदौर एवं देवास पुलिस को धन्यवाद करता है।

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