पहले कोरोना से जीती थी जंग..अब किया प्लाज्मा डोनेट..

पहले कोरोना से जीती थी जंग..अब किया प्लाज्मा डोनेट
देवास जिले में प्लाज्मा डोनेट का पहला केस
देवास। वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना महामारी से त्रस्त है तथा अभी तक इस बिमारी से बचने के लिए विश्वस्तर पर किसी भी देश द्वारा कोई वेक्सीन तैयार नहीं की जा सकी है। भारत देश भी इस बिमारी से अछूता नहीं है। अभी तक पूरे देश मे लगभग डेढ़ लाख लोग कोरोना पाजिटिव हो चुके है, जिसमें से लगभग पैंसठ हजार मरीज स्वस्थ हो चुके है, जो सामान्य रूप से पाजिटिव थे। परन्तु गंभीर रूप से पाजिटिव मरीज के इलाज के लिए शासन स्तर पर हरसंभव प्रयास किये जा रहे है। इसी कड़ी में प्लाज्मा थैरेपी से गंभीर रुप से संक्रमित मरीज का इलाज किया जा रहा है, जिसमें पाजिटिव से स्वस्थ हुए मरीज के ब्लड में से प्लाज्मा निकालकर संक्रमित मरीज को चढ़ाया जाता है।
जिले के हाटपीपल्या के इकबाल मंसूरी पत्रकार जिनका कोरोना की वजह से विगत दिनों निधन हो गया था तथा उनके साथ रहते हुए उनका पुत्र गुलरेज मंसूरी भी कोरोना पाजिटिव हो गया था। गुलरेज को प्रारंभ से ही कोरोना बिमारी के किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं थे तथा अमलतास हास्पिटल देवास में क्वारंटाइन रहते हुए दो बार नेगेटिव रिपोर्ट आने पर हास्पिटल से डिस्चार्ज किया गया। अपने पिता को इस बिमारी से खो चुके गुलरेज मंसूरी ने अपनी स्वेच्छा से कल बुधवार को अरविंदो हास्पिटल इंदौर जाकर कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज के लिए प्लाज्मा के लिए अपना ब्लड डोनेट किया। गुलरेज ने कहा कि मैं अपने पिता को तो नहीं बचा सका लेकिन मैं मेरे प्लाज्मा से यदि एक कोरोना पाजिटिव की भी जिंदगी बचा सका तो मेरी ओर से यह मेरे पिता के लिए सच्ची श्रद्धांजली होगी।

यह है प्लाजमा
कोरोना वायरस से पीडि़त जो लोग अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं उनके ब्लड में जो एंटीबॉडीज बन जाती हैं उन्हें ही प्लाजमा कहते हैं। डॉक्टर कहते हैं कि इस थेरिपी में ठीक हुए व्यक्ति के ब्लड से एंटीबॉडीज निकालकर कोरोना वायरस से पीडि़त व्यक्ति के शरीर में डाली जाती हैं, जिससे कोरोना वायरस से पीडि़त व्यक्ति को ठीक किया जा सकता है। बताया गया है की इंसान के खून में 2 चीजें होती हैं, पहली रेड ब्लड सेल, दूसरी वाइट ब्लड सेल, तीसरी प्लेट्लेट्स और चौथी प्लाज्मा। प्लाज्मा खून का तरल यानी लिक्वड वाला हिस्सा होता है। शरीर में किसी वायरस के आ जाने पर प्लाज्मा ही एंटीबॉडी बनाने में मदद करता है। तो क्योंकि कोरोना भी शरीर में बाहर से आने वाला एक वायरस है, ऐसे में हमारा शरीर इससे लडऩे के लिए खुद-ब-खुद एंटीबॉडी बनाता है, जिसमें सबसे बड़ी भूमिका होती है रक्त में मौजूद प्लाज्मा। आपका शरीर कितना ज्यादा एंटीबॉडी बनाने में कारगर है यही बात कोरोना के हराने के लिए जरूरी है। शरीर अगर जरूरत के अनुसार एंटी बॉडी बना लेता है तो ठीक हो सकता है। अब दूसरी बात, जब आप एंटीबॉडी बना कर किसी वायरस को मात दे देते हैं, तो इसके बाद भी लंबे समय तक एंटीबॉडी प्लाज्मा के साथ आपके खून में मौजूद रहती हैं। आप चाहें तो इन्हें डोनेट कर सकते हैं।
हाटपीपल्या से इंदौर जाते वक्त शासकीय अस्पताल हाटपीपल्या के डॉ. श्री जीवन यादव, विजेन्द्र पटेल, राजेंद्र बज सर, पार्षद हारुन मंसूरी, पूर्व पार्षद हाजी सलाम मंसूरी, संतोष वर्मा, पंकज वर्मा, जावेद मंसूरी, सलीम नागौरी, रोटरी क्ल्ब के अध्यक्ष मुफीद पठान सर, मोहम्मद अली, नसरूद्दीन पठान, पुलिस प्रशासन एवं नगर के वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे। सब लोगों ने गुलरेज के इस राष्ट्रहित के कार्य की प्रशंसा की।

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