भगवान की प्रतिमाओं का निर्माण करने वालों पर संकट..गाइडलाइन तय नहीं होने से परेशान..

भगवान की प्रतिमाओं का निर्माण करने वालों पर संकट..गाइडलाइन तय नहीं होने से परेशान
दो माह के बाद गणेश चतुर्थी पर्व तो पौने चार माह के बाद नवरात्रि पर्व
देवास। दो माह के बाद गणेश चतुर्थी का पर्व है और उसके बाद नवरात्रि इन दोनों पर्व में सैकड़ों की संख्या में मूर्ति का निर्माण होता है और इसकी तैयारी हर साल 15 जून से पहले चालू हो जाती है लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते हर व्यापार की गाइड लाइन तय की गई है। इसीलिए शहर में मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार भी उनकी शीघ्र गाइडलाइन जारी करने की मांग कर रहे हैं।


          शहर के मूर्तिकार कोलकाता से बंगाली मूर्तिकरो को यहां लाकर 3 से 15 फीट तक की प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं। अब यहां के मूर्तिकार को जो हर वर्ष विभिन्न शहरों से यहां आकर सार्वजनिक गणेश उत्सव समिति और सार्वजनिक नव दुर्गा उत्सव समिति के के पंडालों पर प्रतिमा विराजित करते हैं उन मंडलों के संचालक जो पहले से अपनी मूर्तियों भी बुकिंग करते हैं वह लोग पिछले कई दिनों से इन मूर्तिकार के संपर्क में आकर बार-बार पूछ रहे हैं कि हमारी प्रतिमाओं का निर्माण कैसे और कब होगा अब यह मूर्तिकारों का कहना है कि अब हम करें तो क्या करें हमारा साल भर की रोजी-रोटी इसी से चलती है जो पहले तैयारी करनी थी वह तो हमने कर ली अब हम कोलकाता से कलाकारों को मूर्तियां बनाने में सहयोग के लिए बुलवाएं तो क्या गाइडलाइन है। क्योंकि अनेक व्यापार-व्यवसाय के लिए अभी तक अलग-अलग गाइडलाइन जारी की गई है मगर कुछ व्यापार के लिए तो अभी तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं नहीं की गई ऐसा ही हमारे साथ भी हो रहा है। स्थानीय बीमा चौराहे पर मूर्ति बनाने वाले लखन ठाकुर ने बताया कि वह प्रतिवर्ष 350 के करीब मूर्तियों का निर्माण करते हैं उनकी प्रतिमाएं शहर के अलावा शाजापुर, सारंगपुर, उज्जैन, मक्सी, सोनकच्छ, मांगलिया सहित राजस्थान के बांसवाड़ा तक की प्रतिमा यहां से बनकर जाती है अब प्रशासन द्वारा उन्हें शीघ्र ही गाइडलाइन जारी नहीं की गई तो उनका कारोबार कैसे होगा इसके लिए वह चिंतित है। उनके अलावा शहर में एबी रोड़ पर रामनगर के निकट सुभाष मजूमदार और एक इटावा में मयंक कुशवाहा द्वारा भी कोलकाता से कलाकार बुलाकर यहां मूर्ति बनाने का कारोबार करते हैं अब यह लोग मूर्तियां बनाने के लिए परेशान है क्योंकि उनके पास ग्राहकों के रोजाना फोन आ रहे हैं और शासन द्वारा अभी तक मूर्ति बनाने और उनको बेचने के लिए कोई गाईड लाइन जारी नहीं की गई है। बिना गाइडलाइन से वह क्या करें इस बात को लेकर वह चिंतित है।

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