जन्मदिन पर कोरोना महामारी का बनाया बहाना, सरकार के जाते ही सज्जनसिंह वर्मा का कद हुआ कमजोर, कई कार्यकर्ता नाराज..

जन्मदिन पर कोरोना महामारी का बनाया बहाना..
सरकार के जाते ही सज्जनसिंह वर्मा का कद हुआ कमजोर, कई कार्यकर्ता नाराज
पर्दे के पीछे चल रही ऐसी भी चर्चाएं..
देवास। कांग्रेस सरकार जब सत्ता में थी तो उस दौरान तत्कालीन मंत्री का जन्मदिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया था। यहां तक की लाखों रूपयों केे विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित किए गए थे। वहीं इंदौर में उनके निवास पर बड़े जश्र के साथ जन्म उत्सव मनाया गया था। सरकार जाते ही कोरोना संक्रमण फैल गया और अब पूर्व मंत्री का जन्मदिन पुन: आया। इस संबंध में पूर्व मंत्री के समर्थकों ने मीडिया को आश्वस्त किया था की भैया के जन्मदिन पर विज्ञापन प्रकाशित किए जाएंगे। अब जन्मदिन के एक दिवस पूर्व ही पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने एक अपील जारी कर अवगत करा दिया की कोरोना महामारी के चलते वह अपना जन्मदिन नहीं मनाएंगे। साथ ही उनके समर्थकों को कह दिया की उनके जन्मदिन पर किसी भी प्रकार से फिजूल खर्ची नहीं करें और जरूरतमंदों की सहायता करें। वहीं जिले में जैसे ही इस बात की सूचनाएं कार्यकर्ता को मिली तो कई कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर की। वहीं सूत्रों के मुताबिक सज्जनसिंह वर्मा के इस प्रकार से लिए फैसले के बाद कई सरपंच, जनपद पंचायत सदस्यों ने भाजपा में जाने की तैयारी कर ली है। वहीं पिछले दिनों 15 अगस्त के दिन कांग्रेस कार्यालय पर झण्डा वंदन करने के लिए पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा हमेशा की तरह चामुण्डा कॉम्पलेक्स पर आए थे। उस दौरान सिर्फ तीन-चार कार्यकर्ता उनके समक्ष रहे जिस पर उन्हें खुद यह एहसास हो गया था की सरकार थी तब तक उनका कद बढ़ा हुआ था। सरकार के जाते ही उनका कद कमजोर हो गया और जन्मदिन आते ही उन्होनें कोरोना का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लिया।


पर्दे के पीछे ऐसी चल रही यह भी चर्चाएं..
यहां पर कई प्रकार की चर्चाएं चल रही है जिसके चलते बताया गया है की गत वर्ष कांग्रेस सरकार सत्ता में काबिज थी उस दौरान पूर्व मंत्री के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में खुद को सज्जन भैया के करीबी बताने वाले नेता ने मंडी सचिव से पैसा लिया गया था। वहीं आज जिस प्रकार से अपील जारी की गई है, उस पर चर्चा चल रही है की इस अपील में सज्जनसिंह वर्मा की भूमिका कम और करीबी नेताओं की भूमिका पहले से बनी हुई थी। वहीं बताया गया है की खुद को भैया का करीबी बताने वाले नेता की मंशा कुछ ऐसी बनी हुई है की कंधा किसी और का और निशाना लगाने में लगे हुए हैं। चर्चा यह भी चल रही है की सोनकच्छ विधानसभा में सज्जनसिंह वर्मा की हालत भी करीबी नेताओं के कारण कमजोर बनी हुई है, कई कार्यकर्ता इस प्रकार के रवैये से नाराज है। बताया गया है की जब सज्जनसिंह वर्मा मंत्री थे उस दौरान भी करीबी नेताओं के लिए टसल अधिक था। चर्चाएं तो यह भी है की कार्यकर्ताओं के काम नहीं हो पा रहे थे। वहीं पिछले दिनों क्षेत्रीय सांसद ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था की कांग्रेस में एक राबर्ट वाड्रा है, जिस पर भी काफी चर्चाएं बाजार में की गई थी। चर्चा तो यह भी है की सज्जनसिंह वर्मा को डिबेट करने में सबसे बड़ा रोल भी करीबी नेताओं का है इन्हीं नेताओं के कारण सज्जनसिंह वर्मा का विरोध हो रहा है। चर्चा तो यह है की आगे भैया को सोनकच्छ चुनाव लडऩा नहीं हैं, इसलिए भैया अपने बेटे को चुनाव लड़ाने का मन बना चुके है। अब अगर ऐसे करीबी लोगों का साथ रहा तो भैया को कहीं भारी न पड़ जाए।

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