स्वास्थ विभाग कर रहा कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़ो की बाजीगरी..
स्वास्थ विभाग कर रहा कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़ो की बाजीगरी
विभाग क्यों छुपा रहा कोरोना मरीजों की संख्या, आंकड़े सामने आने पर हो रही लापरवाही
देवास। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, कई लोगों ने तो नीजि तौर पर कोरोना संक्रमण की जांच कराई है, लेकिन उनकी रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग उन्हें सूची में नहीं डालता है। जिसके कारण कई लोगों को पता नहीं होता है की कोरोना संक्रमित कहीं उन्हीं के पास तो नहीं है। हांलाकि सरकार ने मोबाइल एप्प के जरीए यह सुविधा उपलब्ध की है की कोरोना संक्रमित मरीज उनके कितने नजदीक है, वह तब ही कार्य करती है जब कोरोना संक्रमित मरीज अपनी डिटेल उस एप्प पर साझा करे। लेकिन ऐसा होता नहीं है। खैर वर्तमान में तो जो रिपोर्ट आ रही है उनमें कई रिपोर्ट को स्वास्थ्य विभाग ने दबा लिया है जिसके कारण संक्रमितों की सूची में उनके नाम नहीं बताए जा रहे हैं। इनमें शहर के प्रतिष्ठित डॉक्टरों के नाम भी हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उनके नामों का उल्लेख क्यों नहीं किया यह सवाल बना हुआ है। उल्लेखनीय है की कोरोना संक्रमित डॉक्टरों का उपचार इंदौर के अस्पताल में जारी है, लेकिन सूची में नाम नहीं होना विभाग की लापरवाही के साथ-साथ उनकी कार्यप्रणाली को भी संदेह के घेरे में ले रही है। कहा जाए तो स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़ो के साथ बाजीगरी करने में लगा हुआ है, जिससे आम लोग बेखबर है।
जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ कोरोना संक्रमण के साथ अन्य समस्याओं से भी निपटने में लगा है परंतु मुख्य जवाबदार स्वास्थ्य विभाग कहीं आंकड़े छुपाने के साथ लापरवाही बरत रहा है। सबसे बड़ी बात कि देवास में आ रही रिपोर्ट पर विश्वास करें या इंदौर की निजी लैब पर आ रही रिपोर्ट को सच माने। एक छोटा सा उदाहरण अभी हाल में रघुनाथपुरा और कर्मचारी कॉलोनी में निवासरत लोगों के साथ हुआ है जिनकी देवास में रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद तबीयत खराब होने के उपरांत जब उनको इंदौर ले गए तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई और परिवार पूरा घबरा गया। वहीं क्षेत्र के लोगों में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वैसे तो देवास में ऐसे बहुत से प्रकरण हुए हैं परंतु ईश्वर की मेहरबानी से वह ठीक हो गए और बात वहीं समाप्त हो गई, परंतु यह हाल के 2 केस और 2 प्रकरण देवास के चर्चित डॉक्टर के भी हैं जिनका अभी तक किसी भी रिपोर्ट में नाम नहीं आया है। जबकि वह इंदौर में उपचारत बताए जा रहे हैं। ऐसे ही औद्योगिक क्षेत्र में कई श्रमिक है। स्वास्थ्य विभाग के लिए एक छोटी सी बात है कि आपने खूब मेहनत की आपकी सेवा को सभी ने सराहा हैं। जिला प्रशासन का तो दिन रात बराबर हो गया अभी भी सबसे ज्यादा टेंशन कोरोना को लेकर ही रहता है ऐसे में हम भी हतोत्साहित नहीं करते परंतु एक बार इन बातों को अवश्य देख ले, क्योंकि आम जनता को सब पता रहता है और जब वह रिपोर्ट में अपनी कॉलोनी, मोहल्ले का नाम दिन-ब-दिन बीतने के बाद भी नहीं देखते तो घबराते हैं और स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर भी संदेह जताते हैं। बताया गया है की कर्मचारी कॉलोनी के व्यक्ति की रिपोर्ट शुक्रवार को पॉजिटिव आने पर से ही घर पर था, और उसे कल रात सोमवार को विभाग की टीम लेकर अस्पताल पहुंची है। सवाल उठता है की इंदौर व देवास की लेब की जांच में अंतर कैसे आ रहा है, जबकि कोरोना जैसी बिमारी में लापरवाही होना कितना बड़ा खतरा है। वहीं जब इंदौर से भी रिपोर्ट आ जाती है तो सूची में नाम क्यों नहीं प्रकाशित किए जाते हैं, इससे साफ जाहिर होता है की विभाग आंकड़ों की बाजीगरी करने में लगा हुआ है, जिला प्रशासन को भी इन आंकड़ों के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जबकि जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी और संवेदनशीलता के साथ इस आपदा से निपट रहा है मीडिया और जनप्रतिनिधि भी पूरी तरह जिला प्रशासन के साथ है। उसके बावजूद आंकड़ों के साथ लापरवाही होना विभाग की कार्यप्रणाली पर संदेह दर्शा रहा है।
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