जिले के पंचायत सचिव हुए लामबंद, कलेक्टर और जिपं सीईओ को सौंपा ज्ञापन..

जिले के पंचायत सचिव हुए लामबंद, कलेक्टर और जिपं सीईओ को सौंपा ज्ञापन
मांगे नहीं मानी तो जिला पंचायत के सामने धरने पर बैठूंगा- प्रदेशाध्यक्ष शर्मा
देवास।
जिले के पंचायत सचिव बीते एक वर्ष से अपनी ज्वलंत समस्याओं को लेकर खून के आंसू रो रहे है। रातोरात तीन महीने में तीन बार स्थानांतरण, महीने की 20 तारीख तक आवंटन उपलब्ध होने के बाद भी वेतन नहीं देना। बात-बात में वेतन काट लेना, सोकाज नोटिस देना और मनरेगा कार्यों को ठेके पर देना, जनपदों से झूठे प्रतिवेदन भेजकर जिला पंचायत से सचिवों पर फर्जी कार्यवाही कराना जैसी कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहे है। प्रशासन को बार-बार अवगत कराने पर भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। अब पानी सर से ऊपर है। अगर जिला प्रशासन ने सात दिवस में सचिवों की समस्याओं का निराकरण नहीं किया तो जिला पंचायत के सामने सचिवों की आन-बान और हितों की रक्षा के लिए धरने पर बैठना पड़ेगा।


उक्त आशय की जानकारी देते हुए बुधवार को देवास में पंचायत सचिव संगठन के प्रदेशाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने बताया कि पंचायत सचिव शासन और जिला प्रशासन की रीढ़ की हड्डी है। छोटी-छोटी बातों पर सचिवों को प्रताडि़त करना। समय पर वेतन नही देना। झूठे प्रतिवेदनों पर कार्यवाही करना। वेतन की कटोतरी करना। मांग आधारित मनरेगा योजना में दबाव बनाना और अपना पक्ष सुने बगैर एक तरफा कार्यवाही जिले में जारी है। मैं सचिवों के साथ अन्याय नही होने दूंगा। यदि कोई सचिव को कमजोर करता है तो वह समझे की वह प्रशासन और शासन की रीढ़ को कमजोर कर रहे है। पंचायत सचिव पूरे जिले में कोरोना संकट से लेकर सरकार के बड़े-बड़े अभियानों में अपनी जान जोखिम में डालकर सरकार का काम करता है।

उसे भले ही ईनाम न मिले बल्कि उसे प्रशासन की ओर से मानसिक रूप से प्रताडऩा ईनाम के रूप में स्वीकार नहीं है। आज जिलेभर के लगभग 300 पंचायत सचिव एकत्रित होकर जिलाध्यक्ष आनंदसिंह ठाकुर, संगठन मंत्री धर्मेन्द्र जोशी एवं बलराम जाट की उपस्थिति में सचिवों ने अपनी पीड़ा और समस्याओं को बयां किया। उसके बाद प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को ज्ञापन सौंपा। तत्पश्चात कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा को मांगों के निराकरण के लिए कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा गया। जिला पंचायत और कलेक्टर कार्यालय के सामने आक्रोशित और पीडि़त पंचायत सचिवो ने नारेबाजी की। कोरोना और निर्वाचन आयोग के नियमों का पालन करते हुए लगभग 200 पंचायत सचिवों को सभा स्थल सेन धर्मशाला में ही रखा गया।

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