आज अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस..दो दिन में दो नाबालिक बच्चियां बदसुलूकी की हुई शिकार..
आज अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस..दो दिन में दो नाबालिक बच्चियां बदसुलूकी की हुई शिकार
अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस जिला प्रशासन सहित राजनीतिक दल भूले, अब भी गरीब बच्चे उपेक्षा का शिकार हो रहे, नहीं है इस और किसी का ध्यान..
(अमित व्यास)
देवास। आज अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस है, इस दिवस को भारत ही नहीं वरन पूरे विश्व में मनाया जाता है, लेकिन आज के इस दिवस को जिला प्रशासन के साथ रानीतिक दल भी भूल गए। कोरोना काल क्या आया धीरे-धीरे ऐसे आयोजनों से प्रशासन ने मुंह मोड़ लिया है। कोई दिवस या कोई बड़ा कार्यक्रम उन्हें अब याद ही नहीं रहता है। अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस के बारे में सभी लोग भली भांति जानते हैं, लेकिन इस पर आज भी अमल नहीं किया जा रहा है। बालकों के साथ दुव्र्यवहार होना आज भी आम बात है, होटलों में किन्हीं मजबूरी के कारण आज भी नाबालिक बालक कार्य करते देखें जाते हैं लेकिन इनकी दशा पर अमली जामा पहनाने का कार्य करने में काई भी आगे नहीं आता है, जिसके कारण आज भी बाल अधिकार दिवस पर बच्चे बदसलूकी का शिकार हो रहे हैं। शहर में पिछले दो दिनों में दो मासूमों के साथ दुराचार करने के प्रयास के मामले सामने आए है, लेकिन न तो पुलिस न ही किसी सामाजिक संस्थाओं ने इस और ध्यान आकर्षित किया है। शहर में गत वर्ष इस दिवस को मनाया गया था जहां प्रशासन ने इस दिवस पर होटलों पर कार्य करने वाले कुछ नाबालिकों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए शासकीय स्कूलों में दाखिला दिलवाया था। लेकिन इस वर्ष यहां किसी भी प्रकार से जिला प्रशासन और राजनीतिक दलों ने कोई योगदान नहीं दिया जिस पर आज अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस पर उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
आज पूरी दुनियाभर में आज अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है, लेकिन चिंता का विषय है की आज के इस दिवस को जिला प्रशासन सहित राजनीतिक दल भी भूल गए। कहा जाए तो कोरोना ने हमारे अनेक राष्ट्रीय और वैश्विक कार्यक्रमों की पोल खोलकर रख दी। बाल अधिकार में विकास, शिक्षा, मनोरंजन, नाम, राष्ट्रीयता, परिवार और पारिवारिक पर्यावरण, उपेक्षा, बदसलूकी, दुव्र्यवहार, बच्चों का गैर-कानूनी व्यापार आदि से सुरक्षा जैसे मुद्दे आते हैं। कोरोना काल में लोग आज अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस को भूल गए हैं, जिसके चलते आज ऐसे बच्चे उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं जिनके साथ दुव्र्यवहार अब तक होता आया है। अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार विश्व में 21 करोड़ 80 लाख बाल श्रमिक हैं। भारत में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2 करोड़, वहीं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार 5 करोड़ बाल श्रमिक हैं। इनमें 19 प्रतिशत घरेलू नौकर हैं। बाल श्रम से तात्पर्य ऐसे कार्यों से है, जिसमें काम करने वाला कानून द्वारा निर्धारित उम्र से छोटा होता है। इस प्रथा को अनेक देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने शोषित करने वाली माना है। इस दिवस का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा की जरूरत पर बल देना, इसके प्रति लोगों को जागरूक कर बच्चों के मौलिक अधिकारों को संरक्षित करना है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के मद्देनजर सबसे पहले शिक्षा पर ध्यान देना होगा। सक्षम व्यक्ति अपने बच्चों को पढ़ाने में अव्वल रहता है, गरीब बच्चे सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते। आगे पढ़ाई नहीं कर पाते और गरीब अभिभावक ऐसी स्थिति में बच्चों को मजदूरी में जोत देते हैं। ऐसे बच्चे आगे जाकर अपराधों में फंसकर भविष्य खराब कर लेते हैं।
अमली जामा पहनाकर नौनिहालों को सुरक्षित कर सकते हैं
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार विश्व के बेहद गरीब 120 करोड़ लोगों में से लगभग एक तिहाई बच्चे हमारे देश के हैं।बाल अपराध और बाल मजदूरी के मामले में भी हमारा देश आगे है। हालांकि सरकार दावा है कि बाल मजदूरी में अपेक्षाकृत कमी आई है। बाल श्रम रोकने अनेक कानून बने, कड़ी सजा का प्रावधान किया है। असल में लाखों बच्चे कल-कारखानों से लेकर विभिन्न स्थानों पर मजदूरी कर रहे हैं। चाय दुकान, फल-सब्जी से लेकर मोटर गाडिय़ों में हवा भरने, होटल, रेस्टोरेंट में और छोटे-मोटे उद्योग धंधों में बाल मजदूर सामान्य तौर पर देखने को मिल जाते हैं। ये गरीबी के कारण स्कूलों का मुंह नहीं देखते, परिवार पोषण के नाम पर मजदूरी में धकेल दिए जाते हैं। बच्चों का भविष्य संवारने वह हर जतन करना चाहिए, जिससे बच्चे अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकें। सरकार के साथ समाज का भी दायित्व है कि वह बचपन को सुरक्षित रखने का हर प्रयास करे, जिससे देश विकास पथपर तेजी से बढ़ सके। बचपन सुधरेगा तो देश का भविष्य भी सुरक्षित होगा साथ ही बच्चों के कल्याण की बहुमुंखी योजनाओं को धरातली स्तर पर अमली जामा पहनाकर हम देश के नौनिहालों को सुरक्षित जीवन प्रदान कर सकते हैं।
दो दिनों में दो नाबालिक बदसुलूकी की हुई शिकार
आज अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस है ऐसे में नाबालिक बच्चियां बदसुलू की शिकार हुई है, सिविल लाइन थाना क्षेत्र की गंगा निकेतन कॉलोनी में आरोपी राजेश पिता रामलाल बोरासी उम्र 42 वर्ष ने पास में रहने वाली 4 साल की बच्ची को अपने घर में बुलाकर यौन दुराचार का प्रयास किया। सिविल लाइन थाना पुलिस ने आरोपी पर धारा 376, 363 की उपधाराओं और पाक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया। वहीं सिविल लाइन थाना क्षेत्र में ही कैला देवी इलाके के मिश्रीलाल नगर में आरोपी मोहसीन पिता एहसान शेख उम्र 20 वर्ष द्वारा 8 वर्षीय बच्ची के घर में घुसकर छेड़छाड़ की गई। सिविल लाइन थाना पुलिस ने आरोपी पर धारा 451, 354, 354 ए और पाक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस ने तुरंत कार्य करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया है और आज न्यायालय में उसे पेश किया जाएगा।
Comments