पार्षद पद के लिए नेता लगे जुगत में, प्रदेश अध्यक्ष व विधायक को टिकिट के लिए मनाने की जुगाड़ में जुटे..

पार्षद पद के लिए नेता लगे जुगत में, प्रदेश अध्यक्ष व विधायक को टिकिट के लिए मनाने की जुगाड़ में जुटे
पूर्व पार्षद भी चाह रहे पुन: अपना भाग्य आजमाना..!
(अमित व्यास)
देवास। पिछले दिनों महापौर पद के लिए आरक्षण हुए हैं, वहीं उससे पहले वार्डों का आरक्षण भी हो चुका है। इसके बाद से राजनीतिक दलों के नेता सक्रिय हो चुके हैं। इन राजनीतिक दलों में ऐसे लोग सक्रियता दिखा रहे हंै जो पिछली बार भी पार्षद थे और इस बार भी भाग्य आजमाना चाह रहे हैं, कुछ वार्ड ऐसे हैं जो उसी वर्ग के लिए पुन: आरक्षित हैं। ऐसे में यह लोग फिर से पार्षद की टिकट पाने की दौड़ में शामिल होना चाह रहे हैं। इसके साथ ही कुछ वार्ड आरक्षित वर्ग महिला, पुरुष व सामान्य के लिए आरक्षित हुए हैं, वहां पति व पत्नी के नाम को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया भी की जा रही है। हालांकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी ने टिकट के लिए गाइडलाइन तय कर ली है। यदि ऐसे प्रत्याशी जिन्होनें पूर्व में भी चुनाव लड़ा था उनमें से कुछ प्रत्याशियों को पुन: मौका दिया जाता है तो वहां उन्हें मुंह की खानी पड़ सकती है। वह भी इसलिए क्योंकि उन्होंने उस तरह से पांच वर्षों तक काम नहीं किया जैसे आमजनता ने गत पांच वर्ष पूर्व वार्ड में जीते पार्षद से अपेक्षा की थी। फिलहाल कई पार्षद इन दिनों अपने-अपने दलों के दिग्गज नेताओं से टिकिट पाने के लिए जुगत लगाने में जुटे हुए हैं। वहीं बताया गया है की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आगामी 28 दिसंबर को देवास आ रहे हैं जिस पर कई नेता अपनी जुगत लगाने को आतुर नजर आने लगे हैं। वहीं कांग्रेस ने बगावत करने वालों को टिकिट नहीं देने का फैसला कर लिया है। ऐसे में अब कहा जाए तो कांग्रेस में कई नए चेहरे देखने को मिल सकते हैं।

      वार्ड पार्षद व महापौर के आरक्षण के बाद राजनीतिक दलों के कई नेताओं में सक्रियता दिखाई देने लगी है। कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों के नेताओं ने अपनी भूमिका कुछ तरह से बनाकर रखी है की जैसे ही टिकिट मिले वैसे ही लोगों के मन को मोहकर वार्ड का पार्षद बनना है। वहीं इन दिनों राजनीतिक दलों में ऐसे लोग सक्रियता दिखा रहे हंै जो पिछली बार भी पार्षद थे और इस बार भी भाग्य आजमाना चाह रहे हैं। हांलाकि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपनी गाइडलाइन में कुछ परिवर्तन किया है, जिसमें इस बार पूर्व पार्षदों को टिकिट के लिए जद्दोजहद करना पड़ सकती है। जहां तक भाजपा की बात की जाए तो यहां पर ऐसे लोगों को टिकिट दिया जा सकता है जिन्होनें गत कार्यकाल में वार्ड में कार्य करा था, जिससे वार्डवासी संतुष्ट थे। वहीं कुछ पार्षद ऐसे थे जिनके कार्यकाल में वार्डो में कोई काम नहीं किए थे, ऐसे पार्षदों को टिकिट मिलना भी मुश्किल दिखाई दे रहा है। अब ऐसे में भाजपाई नेता जुगत लगाने में जुट गए हैं। आगामी 28 दिसंबर को भाजपा कार्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के आने की सूचना है जो नवश्रृंगारित भाजपा कार्यालय पर पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। उक्त सूचना के आधार पर कई भाजपाई नेता अपनी जुगत लगाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष से मिलकर अपनी बात मनवाना चाहेंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक कई नेता जो अब तक पार्षद पद नहीं ला पाए थे वह इन दिनों पैलेस पर लगातार आवागमन कर रहे हैं जो पार्षद पद के लिए बड़े आतुर दिखाई दे रहे हैं। वहीं पूर्व पार्षदों को दरकिनार कर क्या पैलेस से इन नेताओं को लाभ का अवसर मिलेगा यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

    वहीं कांग्रेस की बात की जाए तो पार्टी हाईकमान ने एक बड़ा फैसला यह लिया है की जिन नेताओं ने पार्टी से बगावत की थी उन्हें अब पार्षद और महापौर पद के लिए टिकिट नहीं मिलेगा। कई ऐसे नेता जिलेभर में हैं जो कांग्रेस पार्टी से बगावत कर भाजपा व अन्य पार्टीयों में शामिल हुए हैं उनकी नई पार्टीयों में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर पूछ परख इन दिनों नहीं दिखाई दे रही है। अब ऐसे में वे नेता क्या फैसला लेते है या फिर कौन से आकाओं से मिलकर अपनी बात को मनवाते हैं यह देखना भी रोचक होगा।

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