भक्ति प्राप्त करनी है तो मन को निर्मल बनाना पड़ेगा : नरेंद्र गुरुजी
भक्ति प्राप्त करनी है तो मन को निर्मल बनाना पड़ेगा : नरेंद्र गुरुजी
देवास। खटांबा में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन राज ऋषि नरेंद्र गुरुजी हाटपिपलिया वाले ने बताया कि सद्गुरु कहते हैं निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र न भावा अर्थ कहते हैं जिस प्रकार भोलेनाथ जी का नाम भोला इसलिए पड़ा कि वह झगड़ा करते थे क्रोध करते थे लेकिन कुछ ही समय बाद वापस भूल जाते थे। बेर को याद नहीं करते थे और आज हम सब लोग छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाते हैं एक दूसरे से बेर कर लेते हैं सालों साल तक एक दूसरे से बोलते नहीं है। देवरानी जेठानी सास बहू में छोटी-छोटी बहस हो जाती है लेकिन उससे सालों साल हम दूर हो जाते हैं यदि हमारा मन निर्मल बनाना है तो हमें भोला बनना पड़ेगा जो छोटी-छोटी बातों को लेकर बेर करते हैं उन लोगों को उन चीजों को भूलना पड़ेगा।
यदि भक्ति प्राप्त करनी है तो मन को निर्मल बनाना पड़ेगा क्योंकि भगवान को निर्मल मन वाले लोग जिनके मन में छल कपट बेर घृणा द्वेष इत्यादि नहीं है ऐसे लोग भगवान को प्रिय हैयदि हम मान अपमान को छोडक़र जाती पाती को छोडक़र ऊंच-नीच के अमीरी गरीबी के भेदभाव को मिटाकर कि हम भोले बन जाए सब से प्रेम करें सब को माफ कर दे और सब से माफी मांग ले और हमारे जीवन में एक भी दुश्मन ना हो तो निश्चित ईश्वर की कृपा आप पर होगी।
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