नर्मदा उद्वहन सिंचाई योजना को जल्द ही मंजूरी दिलवाएं

नर्मदा कालीसिंध लिंक परियोजना प्रगति पर किंतु देवास व विधानसभा क्षेत्र के 72 गांवों को नहीं मिला पानी
देवास। नर्मदा उद्वहन सिंचाई योजना को लेकर कांग्रेसी नेताओं का कहना है की इसकी मंजूरी उनकी 15 माह की सरकार के दौरान मिल चुकी थी, जिसके बाद सरकार का पतन हो गया और योजना मूर्तरूप नहीं ले पाई। जबकि योजना की मंजूरी हो चुकी है। वहीं उनका कहना है की अगर इसका जल देवास को नहीं मिला तो यह जल्द ही गुजरात के हिस्से में चला जाएगा। नर्मदा कालीसिंध लिंक परियोजना प्रगति पर है किंतु देवास शहर व विधानसभा क्षेत्र के 72 गांवों को इस योजना का पानी नहीं मिल पाया है। वहीं अब नर्मदा कालीसिंध लिंक परियोजना के चारों फेस से शेष बचा पानी भी वर्तमान में शाजापुर विधानसभा के समस्त गांवों को मिलेगा। इन बातों को लेकर उक्त योजना को वर्तमान सरकार द्वारा कोई रूचि न दिखाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया है। वर्तमान में देवास को क्षिप्रा जल आवर्धन योजना से पानी मिल रहा है।

 

        पं. रितेश त्रिपाठी मित्र मंडल द्वारा देवास नर्मदा उद्वहन सिंचाई योजना की मांग की मंजूरी की बातों को लेकर पत्रकार वार्ता आयोजित की गई। जिसमें बताया कि नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण द्वारा पारित अवार्ड अनुसार नर्मदा जल के कुल 28(मिलियन एकड़ फीट)एमएएफ उपयोगी जल में से मध्यप्रदेश को 18.25 एमएएफ जल आवंटित है, इसमें से 14.5 एमएएफ के लगभग की निविदा लगी है या कुछ परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी है, अब मध्यप्रदेश के हिस्से में 3.75 एमएएफ जल शेष है जिसे 2023 तक उपयोग में ले सकेंगे। अन्यथा यह जल गुजरात के हिस्से में चला जाएगा। नर्मदा कालीसिंध लिंक परियोजना के फेस 1 व 2 फेस 3 व 4 में दो निविदाएं लगकर कार्य प्रगति पर है। परंतु देवास शहर को पेयजल व देवास विधानसभा के 72 गांवों को इस योजना से पानी नहीं मिल पाया है। अब नर्मदा कालीसिंध लिंक परियोजना के चारों फेस से शेष बचा पानी भी वर्तमान में शाजापुर विधानसभा के समस्त गांवों को मिलेगा। इसलिए देवास नर्मदा उद्वहन सिंचाई योजना ही एक मात्र विकल्प है जिसकी डीआरपी(डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट)पूर्व कांगे्रस सरकार के समय में बन चुकी है। परंतु सरकार बदलने के बाद उक्त योजना को वर्तमान सरकार द्वारा कोई रूचि न दिखाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया है। वर्तमान में देवास को क्षिप्रा जल आवर्धन योजना से पानी मिल रहा है। बांध पूरा भरने के बाद भी क्षिप्रा की जमीनी सतह इस प्रकार की है कि दिसम्बर जनवरी माह तक पानी सूख जाता है। 2016 सिंहस्थ के पूर्व से जो नर्मदा का जल उज्जैन क्षिप्रा नदी में धार्मिक त्योहारों पर स्नान के लिए जल छोड़ा जाता है उसी जल से हमेंं गर्मी में पर्याप्त पानी पेयजल के लिए शहर को मिलता रहा है। स्थाई पेयजल समाधान के लिए नर्मदा उद्वहन सिंचाई योजना की मंजूरी जरूरी है। जिससे पेयजल के साथ ही देवास विधानसभा के 72 गांवों को सिंचाई हेतु जल मिल सके। पूर्व में भी पूर्व मंत्री चंद्रप्रभाष शेखर द्वारा लोदरी नदी परियोजना को मंजूर कराया गया था। अगर उस समय जनप्रतिनिधि, प्रबुद्धजन इसमें रूचि दिखातेे तो पानी के अभाव में देवास शहर के तमाम उद्योग जो बंद हुए है वे बंद नहीं होते और देवास शहर का स्वरूप भी औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर और नोएडा की भांति होता। अत: देवास नर्मदा उद्वहन सिंचाई योजना को जन प्रतिनिधि जल्द मंजूरी दिलवाकर देवास वासियों को पेयजल व सिंचाई सुविधा का लाभ देकर लाभांवित करें।

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