माध्यमिक शिक्षा मंडल व सीबीएसई की दसवीं एवं 12 वीं की परीक्षा नहीं होगी..

छात्र-छात्राओं की फीस लौटाए सरकार: कांग्रेस
देवास। कोरोना महामारी की वजह से माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल ने एवं सीबीएसई ने निर्णय लिया है कि इस बार दसवीं बोर्ड की परीक्षा नहीं ली जाएगी छात्र छात्राओं को जनरल प्रमोशन दिया जाएगा। वहीं सीबीएसई पैटर्न वाले छात्र छात्राओं को स्कूल में अपने परफॉर्मेंस के पैटर्न पर अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी व कांग्रेस प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने बताया कि प्रदेश के करीब 9 लाख छात्र-छात्राओं ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10 वीं की परीक्षा देने के लिए आवेदन किया था। साथ ही परीक्षा फार्म के साथ 900 रुपये प्रति छात्र-छात्राओं ने परीक्षा फार्म के साथ राशि जमा की थी। इसी के साथ सीबीएसई के छात्र-छात्राओं ने 2150 रुपए एवं 1850 रुपये परीक्षा शुल्क जमा किया था। प्रदेश से भी लाखों छात्र छात्राओं ने सीबीएसई परीक्षा के लिए फीस जमा की थी। एक अनुमान के अनुसार माशिमं को प्रदेश में ही छात्र-छात्राओं की फीस के रूप में सरकार को करीब 80 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। वही पूरे देश से 10 वी में सीबीएसई के लगभग 19 लाख छात्र छात्राओं ने एवं 12 वी में 12 लाख के करीब छात्र छात्राओं ने भी अनुमानित 60 करोड़ों रुपए परीक्षा शुल्क के रूप में जमा किए हैं।

       कांग्रेस ने मांग की है कि जब छात्र-छात्राओं की परीक्षा हो ही नहीं रही है तो फिर उनकी फीस वापस की जाए। वैसे भी राज्य सरकार ने अधिकांश फैसले स्कूलों के पक्ष में ही किए हैं। बंद स्कूल होने के बावजूद आज पालक को अपने बच्चों के पढऩे की फीस स्कूल में जमा करना पड़ रही है। कोरोना महामारी एवं लॉकडाउन के चलते आज प्रदेश के सारे व्यापार-व्यवसाय पूरी तरह से बंद है। लोगो के सामने रोजी-रोटी का संकट है बड़ी मुश्किल से माता पिता अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। हमारी मांग है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शीघ्र ही माध्यमिक शिक्षा मंडल में दसवीं के छात्र छात्राओं के द्वारा भरी परीक्षा फीस वापस लौटाए। वहीं केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से भी मांग है कि वे सीबीएसई बोर्ड को निर्देशित करें कि छात्र-छात्राओं की 10 वी एवं 12 वी की परीक्षा फीस वापस की जाए या जो निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं उनकी राशि फीस में समायोजित की जाए। सीबीएसई विषय के अधिकांश छात्र-छात्राएं निजी विद्यालयों में पढ़ते हैं।

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