जातीय संतुलन की रणनीति में भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष हो सकते हैं मनोहर लाल खट्टर ? : डॉ अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)
जातीय संतुलन की रणनीति में भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष हो सकते हैं मनोहर लाल खट्टर ? : डॉ अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)
देवास। भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों यानी कुल 36 इकाइयों में भारतीय जनता पार्टी वर्तमान समय में 21 इकाइयों में सत्ता में है। इसका एक प्रत्यक्ष कारण प्रधानमंत्री मोदी को समझा जा सकता है लेकिन अप्रत्यक्ष कारणों में सबसे प्रमुख है जातीय संतुलन की रणनीति, जिसके बल पर भाजपा लगभग आधे से अधिक भारतीय मानचित्र को भगवा करने में सफल रही है। दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश या हरियाणा, यहां तक कि नार्थ ईस्ट के राज्यों से लेकर केंद्र शासित प्रदेशों तक, भाजपा के सभी जातियों, समुदायों और क्षेत्रीय नेतृत्व को साथ लेकर चलने के फॉर्मूले ने, पार्टी को शीर्ष पर स्थापित कर दिया है। पार्टी ने एसटी, एससी, ओबीसी, अल्पसंख्यक समुदाय, सवर्ण, सिख व अन्य क्षेत्रीय समुदायों के नेताओं को मुख्यमंत्री और पार्टी के अन्य प्रमुख पदों पर नियुक्त करके, यह सुनिश्चित किया है कि संगठन में हर समुदाय का प्रतिनिधित्व और प्रभाव साफतौर पर नजर आए। हालांकि, इस रणनीति में पंजाबी समुदाय अभी तक बड़े पदों पर अपेक्षाकृत कम दिखाई दिया है। लेकिन इस कमी की पूर्ति, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से कर सकती है, संभवत: इस पद की जिम्मेदारी मनोहर लाल खट्टर को सौंपी जा सकती है, लेकिन सवाल है कि मनोहर लाल खट्टर या यूँ कहें कि पंजाबी ही क्यों?
भाजपा ने विभिन्न सामाजिक समूहों को साधने के लिए अपने नेतृत्व में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को प्राथमिकता दी है। इसका उद्देश्य न केवल विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास कायम करना है, बल्कि उनके वोट बैंक को भी मजबूत करना है। उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया, जो अनुसूचित जनजाति से आते हैं। वहीं मध्य प्रदेश में मोहन यादव को और हरियाणा में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया, जो ओबीसी वर्ग से आते हैं। मध्यप्रदेश में हाल ही में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हुए हेमंत खंडेलवाल और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दोनों ही वैश्य समाज से आते हैं। भाजपा ने दलित समुदाय को भी प्रमुखता दी है। जैसे हरियाणा में पाल-गड़रिया समुदाय को ओबीसी से हटाकर अनुसूचित जाति में शामिल किया जाना।
सवर्ण समुदाय तो बीजेपी का फ्रंट फुट रहा है, जहां महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और राजस्थान में भजनलाल शर्मा, दोनों ही ब्राह्मण हैं, उनको मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की क्षत्रिय राजपूत वाली छवि तो किसी से छिपी ही नहीं है। इसके अतिरिक्त गोवा में प्रमोद सावंत, जो मराठा समुदाय से हैं, को मुख्यमंत्री बनाया गया। वहीं अल्पसंख्यक समुदाय की बात की जाए तो अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू, जो बौद्ध समुदाय से हैं, उनको मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि भाजपा ने मुस्लिम समुदाय को अभी तक मुख्यमंत्री जैसे बड़े पदों पर नियुक्त नहीं किया है, लेकिन अल्पसंख्यक मोर्चा जैसे संगठनों के माध्यम से इस समुदाय को जोडऩे की कोशिश जरुर की है।
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